अब जाग उठो अब कमर कसो आहुति की राह बुलाती है
ललकार रही दुनिया हमको भेरी आवाज़ लगाती है
भारत माता के वीर सपूतो धारा की पहचान करो
नावों के बंधन को खोलो पतवार उठा प्रस्थान करो
फिर नए लक्ष्य की चाह विजय की राह तुम्हें दिखलाती है
ललकार रही दुनिया हमको भेरी आवाज़ लगाती है
तंद्रा छोड़ो आँखें खोलो अब नए लक्ष्य संधान करो
तम की कारा को तोड़ फोड़ जगती का नव उत्थान करो
जब अपनी बाहों मे बल हो तो दुनिया पलक बिछाती है
ललकार रही दुनिया हमको भेरी आवाज़ लगाती है
अब प्रण की बारी आई है अब रण की बारी आई है
तन मन को जो दूषित कर दे वो रात दुधारी आई है
भारत माँ अपने बेटों को सत्पथ की राह बुलाती है
ललकार रही दुनिया हमको भेरी आवाज़ लगाती है
Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog
jab apni baho me bal ho to.....
जवाब देंहटाएंbahut khoob padam ji...
kunwar ji,
धन्यवाद कुँवर जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत ओजस्वि लखा है आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर, प्रेरक रचना!
जवाब देंहटाएंinspiring!
जवाब देंहटाएंकुंवरजी,अरुणेश दवे जी, मधुरेश जी अनुपम पाठक जी और RSS Vaishali जी ... आप सब का ब्लॉग पर आगमन के लिए साधुवाद !
जवाब देंहटाएंmera bhi sadhuwad!!!
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