डूब कर पार निकल जाना है
बस मोहोब्बत का ये फ़साना है
हमने समझी है ज़िन्दगी कैसे
मौत का घर में आना जाना है
प्यार करना तो बहुत आसां है
कुछ है मुश्किल तो भूल पाना है
फिर मोहोब्बत पे लगे है पहरे
सच कहा फिर वही ज़माना है
अपने भीतर जिसे शैतां न मिले
संग पहले उसे उठाना है
एक तरफ़ इश्क है मोहोब्बत है
एक तरफ़ मौत है ज़माना है
डूब कर पार निकल जाना है
बस मोहोब्बत का ये फ़साना है