शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

वाह री सरकार वाह तेरे खेल

नमस्कार मित्रों.... महीने भर से भ्रष्टाचार की लड़ाई और अन्य व्यस्तताओं के चलते ब्लॉग पर सक्रिय नहीं रहा... फिर से आता हूँ इस गली... किसी की पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए अचानक उतर आई एक तुरंती से आगाज़ करता हूँ-

वाह री सरकार वाह तेरे खेल

बाबा पर अत्याचार अन्ना को जेल

धारा 144 और अनशन का रोकना

खामखा मनीष और दिग्गी का भौंकना

संसद के नाम पर जनता की न सुनना

अपनी बात कहना अपना हित चुनना

राहुल की चुप्पी मनमोहन का मौन

समझो इस खेल का खिलाड़ी है कौन

सीबीआई करती है मार्कशीट की जाँच

सरकारी तन्त्र का, ये नंगा नाच

उठती हर आवाज़ डंडों मे दबा दो

सीबीआई, आईबी टीम पीछे लगा दो

ये चुन कर आए हैं मालिक हैं देश मे

घूम रहे हैं कुत्ते खादी के भेष मे

भटक गया मानस मन जनता लाचार है

महंगाई,बे-रोजगारी की मार है

बाज़ आओ अब तो सत्ता के दलालो

अब भी मौका है अपनी लाज को बचा लो

वरना तुम भी काल-ग्रास बन जाओगे

इतिहास लिखने वालो इतिहास बन जाओगे

3 टिप्‍पणियां:

  1. एकदम सन्नाट धोया है पद्म भाई , धुलाई चालू रखी जाए एकदम

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  2. ये सुनले है हमें तमन्ना मर मिटने की, कसम हमें तिरंगे की.
    वक्त है आओ मिलकर इंकलाबी नारा बुलंद कर दे.
    भारत माँ की छाती छलनी होती इन चोरो से, छाती पर लोटते सांपो से.
    आओ दिलादे मुक्ति देश को इन गद्दारों से.
    किरण बेदी और ओम पुरीजी ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। हमें दिखाना है की राष्ट्र जग गया है, ईसके लिये हम सब आइये नेताओ को अनपढ़, गवार, नालायक , दोमुहे, चोर, देशद्रोही, गद्दार कहती हुई एक चिठ्ठी लोकसभा स्पीकर को भेजे(इक पोस्टकार्ड ). देखते हैं देश के करोडो लाखो लोगो को सांसद कैसे बुलाते है अपना पक्ष रखने के लिये। यदि इससे और कुछ नहीं हुआ तो भी बिना विसिटर पास के लोक तंत्र के मंदिर संसद को देखने और किरण बेदी के साथ खड़े होने का मौका मिलेगा। और संसद ने सजा भी दे दी तो भी एक उत्तम उद्देश्य के लिये ये जेल भरो होंगा।
    में ये स्पष्ट कर दू की यह विचार मैने एक टिप्पणी से उठाये हैं पर में इससे १००% सहमत हूँ। कृपया इस विचार को अपने अपने ब्लॉग पर ड़ाल कर प्रसारित करे। आइये राष्ट्र निर्माण में हम अपनी भूमिका निभाये।
    जय हिंद

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  3. 'इसका भी नाम नोट किया जाये और इसके आगे-पीछे ,सात पुश्तों के चाल-चलन का हिसाब बनाकर अंडमान भेजा जाये क्योंकि 'तिहाड़' तो वीआईपी के लिए आरक्षित हो चुका है !'

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