गुरुवार, 8 जुलाई 2010

क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी


क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी

संघर्षों का फल लाएगी

 

स्वप्न बंधे जंजीरों में

आशाएं कुंठित रुद्ध भले होँ

आज समय विपरीत सही

विधि के निर्माता क्रुद्ध भले होँ

स्वेद लिखेगा आने वाले

कल को बाज़ी किसकी होगी

झंझावात रुके हैं किससे

राहें होँ अवरुद्ध, भले होँ

जाग पड़ेंगे सुप्त भाग्य

कुछ ऐसा कोलाहल लाएगी

क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी

संघर्षो का फल लाएगी ...

 

हमने सीखा नहीं समय से

डर जाना घुट कर मर जाना

क्रान्ति और संघर्ष रहा है

परिवर्तन का ताना बाना

दुर्दिन के खूनी पंजों से

खेंच सुपल फिर वापस लाना

ठान लिया तो ठान लिया

पाना  है या कट कर मर जाना

थर्रायेंगे दिल दुश्मन के

वो भीषण हलचल लाएगी

क्रांति सुनहरा कल लाएगी

संघर्षों का फल लाएगी….

 

याचक बन कर जीना कैसा

घुट घुट आंसू पीना कैसा

रोशन होकर ही जीना है

धुवाँ धुवाँ कर जीना कैसा 

घात लगा कर गलियों गलियों

गद्दारों की फ़ौज खड़ी है

तूफानों  से घबरा जाए

वो भी कहो सफीना कैसा

हर पगडण्डी राजमार्ग तक

आज नहीं तो कल लाएगी

क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी

संघर्षों का फल लाएगी ….