सोमवार, 28 नवंबर 2011

Untitled

Debate
आंसुओं से कब भला धुलती तमा तकदीर की

शान्ति पलती है हमेशा साये मे शमशीर की

 

 

Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog