बुधवार, 5 मई 2010

लेकिन मैंने हार न मानी .... (पदम सिंह)



राहें कठिन अजानी

संघर्षो की अकथ कहानी

लेकिन मैंने हार न मानी

आशाओं के व्योम अनंतिम

स्वप्नों का ढह जाना दिन दिन

संबंधों के ताने बाने

नातों का अपनापा पल छिन

क्रूर थपेड़े संघर्षों के

दुर्दिन की मनमानी,

लेकिन मैंने हार न मानी

दूर क्षितिज तक अनगिन राहें

अनबूझी सी फैली फैली

लक्ष्य कुहासे जैसा धूमिल

सभी दिशाएँ मैली मैली

कभी समय से टक्कर ली तो

कभी भाग्य से ठानी

लेकिन मैंने हार न मानी

लिए तकाज़े नए नए नित

समय खड़ा था सांझ सकारे

दुनिया के, मनके, भावों के

किसके किसके क़र्ज़ उतारे

बिखरा बिखरा बचपन देखा

टूटी हुई जवानी .....

लेकिन मैंने हार न मानी


कुछ भावों के अश्रु निचोड़े

मनुहारों के धागे जोड़े

टूटे छंद बंद रिश्तों के

जोड़े कुछ तोड़े कुछ छोड़े

निश-दिन के ताने बाने में

बुनती गई कहानी

लेकिन मैंने हार न मानी

यार मिले तो यारी कर ली

दुःख की साझेदारी कर ली

ये न हुआ पर गद्दारों से

मौके पर गद्दारी कर ली

औरों को माफ़ी दे दी

पर अपनी गलती मानी

मैंने तम से हार न मानी

आँखें नम थी पर मुस्काए

रुंधे गले से गीत सुनाये

शब्दों की माला पहनाई

रस छंदों के दीप जलाए

प्रभु को हँस कर किये समर्पित

नयनों निर्झर पानी

लेकिन मैंने हार न मानी

Posted via email from हरफनमौला

सोमवार, 3 मई 2010

हम हमेशा को एक हो जाएँ

एक पुरानी रचना दे रहा हूँ ... शुरूआती दौर की रचना है .... पता नहीं कैसी लगे आपको ....

चलो एक दूसरे में खो जाएँ
हम हमेशा को एक हो जाएँ

भटकती उम्र थक गयी होगी
नज़र पे धुंध पट गयी होगी
मन की दीवार से सुकून जड़ी
कोई तस्वीर हट गयी होगी
आओ अब परम शान्ति अपनाएँ
हम हमेशा को एक हो जाएँ

पहाड़ से उरोज धरती के
उगे हैं ज्यूँ पलाश परती के
बसे हैं सूर्य की निगाहों में
कसे है आसमान बाहों में
आओ हम मस्त पवन हो जाएँ
सारी दुनिया में प्रेम छितारायें

कई बादल झुके हैं घाटी में
शिशु सा लोट रहे माटी में
लगा है काजल सा अंधियारा
शाम की शर्मीली आँखों में
एक स्वर एक तान हो जाएँ
साथ मिल झूम झूम कर गायें
हम हमेशा को एक हो जाएँ


Posted via email from हरफनमौला

रविवार, 2 मई 2010

इंडियागेट, बोट क्लब,और शिकारियों का शिकार


आजकल कुछ ठीक नहीं चल रहा मेरे जीवन में .... इस लिए ब्लॉग पर भी कम सक्रिय हूँ ...
फिल हाल अपनी हाजिरी दर्ज करने के लिए आपको आज ले चलता हूँ दिल्ली के इंडियागेट पर .... इंडियागेट के बगल में ही एक गंदले पानी का छिछला सा तालाब है जिसमे जहां तहां गुटखे के खाली पाउच और कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलें तैरती रहती हैं ... लोग इसे बोट क्लब के नाम से जानते हैं .....यहाँ आप तीस रूपये में पैडल बोट या रोइंग बोट का मज़ा ले सकते हैं .... पिछले दिनों कहीं जाते समय थोड़ी देर के लिए यहाँ रुका ...यहाँ की चंद तस्वीरें लेने के बाद मैंने देखा कि लोगों में फोटो खिचवाने और खींचने का बहुत क्रेज है ... लोग शूट कर रहे थे ... मैं शूटरों को शूट कर रहा था ... और शिकारी खुद शिकार हो गए .... चंद फोटो आपके लिए -