मंगलवार, 27 सितंबर 2011

दिल पे मत ले यार !

किसी व्यक्ति ने इसे कुमार विश्वास के पेज पर पोस्ट किया हुआ था..
आप हँसते हँसते पागल हो जाओगे..कसम से..
दिग्विजय सिंह -
  • दिग्विजिय सिंह की लोकप्रियता को देखते हुए ज़ी टीवी जल्द ही उन्हें लेकर एक सीरियल शुरू करने वाला है…अगले जन्म मुझे घटिया ही कीजो!
  • दिग्विजय सिंह के लिए बड़ा झटका…पता लगा है कि कांग्रेस के झंडे में जो हाथ है…वो भी आरएसएस का है!
  • अफसोस…ओसामा अपनी वसीयत 2001 में लिख गए। अगर 2011 में लिखी होती तो ऐबटाबाद की हवेली दिग्विजय सिंह के नाम कर देते!
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। मैंने ओसामा जी नहीं, ओसामा जीजा जी कहा था!
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि जब मुझ जैसा आदमी ज़िंदा घूम रहा है तो अफज़ल गुरू को फांसी क्यों दी जाए?
  • दिग्विजय सिंह भारत के सबसे भरोसेमंद नेता हैं… क्योंकि वो ISI मार्का हैं!
  • सवाल-जब अक्ल बंट रही थी तब तुम कहां थे? दिग्विजय-मैं उस समय राहुल बाबा को ढूंढने गया हुआ था…पता नहीं वो लाइन तोड़कर कहां चले गए थे?
  • दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद कि वो अपने पाप धोने हरिद्वार जाएंगे, प्रधानमंत्री ने ‘गंगा सफाई अभियान’ के लिए दस हज़ार करोड़ की अतिरिक्त राशि मुहैया करवा दी है!
शरद पवार-
  • साल 20030…दो लड़के पार्क में बैठे बातें कर रहे हैं…पहला- तुम रोज़ी-रोटी के लिए क्या करते हो…दूसरा-सुबह अख़बार बांटता हूं, फिर दस घंटे नौकरी करता हूं, शाम को ट्यूशन पढ़ाता हूं, रात में चौकीदारी करता हूं…मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ, तुम्हें मैंने कभी कुछ करते नहीं देखा…पहला-यार, क्या बताऊं, आज से दो सौ पीढ़ी पहले हमारे यहां एक शरद पवार हुए थे…वो इतना कमा गए कि हमें आज तक कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ी!
  • फोर्ब्स मैगज़ीन ने अपने ताज़ा अंक में उन ख़रबपतियों की सूची जारी की है जिन्हें शरद पवार ने उधार दे रखा है!
  • शरद पवार ने हाथ दे कर रिक्शे वाले को रोका और पूछा…बस स्टैंड चलना है…कितने पैसे दोगे?
  • शरद पवार और सुरेश कलमाडी से विशाल भारद्वाज इतने इम्प्रेस हैं कि उन्हें लेकर एक बार फिर से ‘कमीने’ फिल्म बनाना चाहते हैं!
  • शरद पवार के करनामों से प्रभावित हो भारतीय डाक विभाग जल्द ही उन पर एक ‘डाकू टिकट’ जारी करने जा रहा है।
  • SWISS GOVERNMENT को शक़ है कि SWISS BANK ने शरद पवार के पास SAVING ACCOUNT खुलवा रखा है!
  •  
मनमोहन सिंह -
  • मनमोहन सिंह विज्ञान ही नहीं, अर्थशास्त्र में भी झोलाछाप डॉक्टर होते हैं…जैसे डॉक्टर मनमोहन सिंह!
  • मैं इसलिए कुछ नहीं बोलता क्योंकि मैडम ने एक दफा समझाया था…बातें कम, स्कैम ज़्यादा!
  • दबंग के बाद अभिनव कश्यप जल्द ही मनमोहन सिंह को लेकर इसका सीक्वल बनाने जा रहे हैं…इस बार फिल्म का नाम है-’अपंग‘!
  • ओसामा की मौत का स्वागत करते हुए मनमोहन सिंह ने एक बार फिर से सोनिया गांधी के कुशल नेतृत्व की तारीफ की है!
  • रजनीकांत के फैन्स के लिए एक अच्छी ख़बर है और एक बुरी। अच्छी ख़बर ये है कि जल्द ही ROBOT PART 2 आ रही है और बुरी ख़बर ये कि इस बार हीरो रजनीकांत नहीं, मनमोहन सिंह हैं। उनसे बड़ा ROBOT भारत में और कौन है!
  • मनमोहन सिंह को देखकर यकीन करना मुश्किल है कि उन्हें भगवान ने बनाया या फिर मैडम तुसाद ने!
  • कुछ लोगों का कहना है कि ‘मजदूर दिवस’ की तर्ज़ पर मनमोहन सिंह के सम्मान में एक दिन ‘मजबूर दिवस’ भी मनाया जाना चाहिए!
  • मनमोहन सिंह का कहना है कि वो अश्लीलता के बिल्कुल खिलाफ हैं इसलिए अपने जीते-जी किसी को EXPOSE नहीं होने देंगे!
नारायण दत्त तिवारी===
  • ओसामा की पहचान के लिए अमेरिका जल्द ही उसका डीएनए टेस्ट करवाएगा, मुझे शक़ है कि कहीं वो नारायण दत्त तिवारी का बेटा न निकले।
  • शरद पवार अपनी सारी सम्पत्ति और एनडी तिवारी अपने सारे बच्चे डिक्लेयर कर दें तो इसमें कई देशों की सारी दौलत और पूरी आबादी समा सकती है!
सुरेश कलमाडी
  • कलमाडी जैसे ही बापू की मूर्ति पर फूल चढ़ाने झुके…लाठी से धकेलते हुए आवाज़ आई…दूर हटो बेटा…वरना अहिंसा की कसम टूट जाएगी!
  • लोगों ने भी हद कर दी है…कलमाडी सुबह पार्क में RUNNING कर रहे थे…पीछे से किसी ने आवाज दी…कब तक भागोगे!
  • कलमाडी घर पहुंचे तो काफी भीग चुके थे…बीवी ने चौंक कर पूछा…इतना भीगकर कहां से आ रहे हैं…क्या बाहर बारिश हो रही है…कलमाड़ी-नहीं….तो फिर…कलमाडी-क्या बताऊं…जहां से भी गुज़र रहा हूं…लोग थू-थू कर रहे हैं!
  • कुकर्मों के लिए माफी मांगते हुए कलमाडी भगवान की मूर्ति के सामने दंडवत हो गए…मन में माफी मांगी…आंख खोली तो देखा…भगवान खुद कलमाडी के सामने दंडवत थे…बोले…बच्चा…रहम करो…जाओ यहां से…
  • “सुरेश कलमाडी एक ईमानदार, कुशल, मेहनती और देशभक्त आदमी हैं। उन जैसा सच्चा आदमी आज तक इस देश ने नहीं देखा…पूरे देश को उन पर नाज़ है” ऐसे ही फनी और मज़ेदार चुटकुलों के लिए SMS करें…5467 पर!
  • कलमाडी के इस प्रस्ताव के बाद कि आप चाहें तो लंदन ओलंपिक में मेरे अनुभव का फायदा उठा सकते हैं, इंग्लैंड के राजकुमार ने सीधा प्रधानमंत्री को फोन लगाया और कहा…इसे समझा लो…वरना मेरा हाथ उठ जाएगा!
  • If ‘K’ stands for Kalmadi…तो आप उसे KBC भी कह सकते हैं…अब ये मत पूछना कि BC क्या होता है!.....
राहुल गांधी
  • “तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ने से आम आदमी का तेल निकलेगा और जब आम आदमी तेल देने लगेगा तो महंगाई खुद-ब-खुद कम हो जाएगी”-राहुल गांधी
    इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी में बहुत प्रतिभा छिपी हुई है मगर देश की भलाई इसी में है कि वो इसे छिपाकर ही रखें!
    हाल के सालों में जिस तेज़ी से पेट्रोल की कीमतें बढ़ी हैं अगर उसी अनुपात में राहुल गांधी का IQ भी बढ़ता तो वो नासा में वैज्ञानिक होते!

    ये पूछे जाने पर कि अब तक वो अन्ना हज़ारे का हाल जानने जंतर-मंतर क्यों नहीं गए…राहुल गांधी का कहना था कि मुझे लगा ‘अन्ना’ कोई साउथ इंडियन शख्स है, जो रजनीकांत को भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठा है!
    सुरक्षा एजेंसियों और राहुल गांधी के साथ एक ही समस्या है…intelligence failure!
     
    यह पोस्ट फेसबुक से साभार संकलित है ....मूल लेखक neeraj Badhawa

शनिवार, 10 सितंबर 2011

हम आम आदमी

P200811_17

हम आम आदमी हैं
किसी 'खास' का अनुगमन हमारी नियति है
हमारे बीच से ही बनता है कोई 'खास'
हमारी मुट्ठियाँ देती हैं शक्ति
हमारे नारे देते हैं आवाज़
हमारे जुलूस देते हैं गति
हमारी तालियाँ देती हैं समर्थन ....
तकरीरों की भट्टियों मे
पकाए जाते हैं जज़्बात
हमारे सीने सहते हैं आघात
धीरे धीरे
बढ़ने लगती हैं मंचों की ऊँचाइयाँ
पसरने लगते हैं बैरिकेट्स
पनपने लगती हैं मरीचिकाएं
चरमराने लगती है आकांक्षाओं की मीनार
तभी… अचानक होता है आभास
कि वो आम आदमी अब आम नहीं रहा
हो गया है खास
और फिर धीरे धीरे .....
उसे बुलंदियों का गुरूर होता गया
आम आदमी का वही चेहरा
आम आदमी से दूर होता गया
लोगों ने समझा नियति का खेल
हो लिए उदास ...
कोई चारा भी नहीं था पास
लेकिन एक दिन
जब हद से बढ़ा संत्रास
(यही कोई ज़मीरी मौत के आस-पास )
फिर एक दिन अकुला कर
सिर झटक, अतीत को झुठला कर
फिर उठ खड़ा होता है कोई आम आदमी
भिंचती हैं मुट्ठियाँ
उछलते हैं नारे
निकलते हैं जुलूस ....
गढ़ी जाती हैं आकांक्षाओं की मीनारें
पकाए जाते हैं जज़्बात
तकरीर की भट्टियों पर
फिर एक भीड़ अनुगमन करती है
छिन्नमस्ता,……!
और एक बार फिर से
बैरीकेट्स फिर पसरते हैं
मंचों का कद बढ़ता है
वो आम आदमी का नुमाइंदा
इतना ऊपर चढ़ता है ...
कि आम आदमी तिनका लगता है
अब आप ही कहिए... ये दोष किनका लगता है?
वो खास होते ही आम आदमी से दूर चला जाता है
और हर बार
आम आदमी ही छ्ला जाता है
चलिये कविता को यहाँ से नया मोड़ देता हूँ
एक इशारा आपके लिए छोड़ देता हूँ
गौर से देखें तो हमारे इर्द गिर्द भीड़ है
हर सीने मे कोई दर्द धड़कता है
हर आँख मे कोई सपना रोता है
हर कोई बच्चों के लिए भविष्य बोता है
मगर यह भीड़ है
बदहवास छितराई मानसिकता वाली
आम आदमी की भीड़
पर ये रात भी तो अमर नहीं है !!
एक दिन ....
आम आदमी किसी "खास" की याचना करना छोड़ देगा
समग्र मे लड़ेगा अपनी लड़ाई,
वक्त की मजबूत कलाई मरोड़ देगा
जिस दिन उसे भरोसा होगा
कि कोई चिंगारी आग भी हो सकती है
बहुत संभव है बुरे सपने से जाग भी हो सकती है
और मुझे तो लगता है
यही भीड़ एक दिन क्रान्ति बनेगी
और किस्मत के दाग धो कर रहेगी
थोड़ी देर भले हो सकती है '
मगर ये जाग हो कर रहेगी
थोड़ी देर भले हो सकती है
मगर ये जाग हो कर रहेगी


...... पद्म सिंह 09-09-2011(गाजियाबाद)

Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

वाह री सरकार वाह तेरे खेल

नमस्कार मित्रों.... महीने भर से भ्रष्टाचार की लड़ाई और अन्य व्यस्तताओं के चलते ब्लॉग पर सक्रिय नहीं रहा... फिर से आता हूँ इस गली... किसी की पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए अचानक उतर आई एक तुरंती से आगाज़ करता हूँ-

वाह री सरकार वाह तेरे खेल

बाबा पर अत्याचार अन्ना को जेल

धारा 144 और अनशन का रोकना

खामखा मनीष और दिग्गी का भौंकना

संसद के नाम पर जनता की न सुनना

अपनी बात कहना अपना हित चुनना

राहुल की चुप्पी मनमोहन का मौन

समझो इस खेल का खिलाड़ी है कौन

सीबीआई करती है मार्कशीट की जाँच

सरकारी तन्त्र का, ये नंगा नाच

उठती हर आवाज़ डंडों मे दबा दो

सीबीआई, आईबी टीम पीछे लगा दो

ये चुन कर आए हैं मालिक हैं देश मे

घूम रहे हैं कुत्ते खादी के भेष मे

भटक गया मानस मन जनता लाचार है

महंगाई,बे-रोजगारी की मार है

बाज़ आओ अब तो सत्ता के दलालो

अब भी मौका है अपनी लाज को बचा लो

वरना तुम भी काल-ग्रास बन जाओगे

इतिहास लिखने वालो इतिहास बन जाओगे