लव गुरु से किसी चेले ने पूछा एक दिन
गुरु नारियों के भेद आज बतलाइए
कैसे किस नज़र से देखे कोई कामिनी को
सार सूत्र सुगम सकल समझाइए
दूसरे प्रकार की गुलाब जैसी होती हैं
तीसरा प्रकार नारियों का है गुलाब जामुन
तीन ही तरह से मुझे नज़र आती हैं
चेला बोला गुरु जी समझ नहीं आया कुछ
थोड़ा तो खुलासा कर ज्ञान रस घोलिए
कैक्टस गुलाब औ गुलाब जामुनों से अब
परदा हटाइए रहस्य जरा खोलिए गुरु बोला कैक्टस है पहला प्रकार जिसे
दूर से ही देखते हैं छू भी नहीं सकते
चखना तो है बड़े ही दूर की कठिन बात
कैक्टस को हम सूंघ भी तो नहीं सकते
बड़े घर की निराली बालकनियों पे सजी
दूर से नाज़ारा लेके लोग ललचाएँगे
छूने का प्रयास मत करना रे प्यारे कभी
वरना तो बेहिसाब काँटे चुभ जाएँगे दूसरा प्रकार है गुलाब जैसी प्रेयसी का
काँटो की सुरक्षा मे बहुत इतराती है
कभी अठखेलियाँ करे सहेली तितलियाँ
कभी टोली भँवरों की चक्कर लगाती हैं
पर प्रेम या गुलाब का उसूल ऐसा है कि
सूंघ सकते हैं पर चख नहीं सकते
परिणय से ही बनता गुलाब गुलकंद
बिना अपनाए उसे रख नहीं सकते तीसरा प्रकार नारियों है गुलाब जामुन
गोल मोल लाली सी है अजब निराली सी
नरम नरम रसवंती सी लगे मगर
छूते ही जो फट पड़ती है घरवाली सी
घरवाली नारियों का तीसरा स्वरूप है जी
इत्ता सा कहूँगा उतना समझ जाइए
पत्नी गुलाब जामु न सी है इसीलिए कि
देखिये कि सूँघिए कि चाटिए कि खाइये
(C) Padm Singh- 9716973262
25/.3/2012 Ghaziabad
Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog
...हमरे पल्ले तो गुलाब जामुन ही आया सरकार .....और उसी में कैक्टस के काँटे मिल जाते हैं !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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