कभी तो सामने अंजाम भी आए कोई
मेरी दुवाओं का असर भी तो पाए कोई
किसी का नाम जुबां पर न सही दिल मे है
कभी तस्वीर को आईना बनाए कोई
कोरे कागज़ के पैरहन कभी रंगीन भी हों
रंग बरसाए कभी झूम के गाए कोई
जिसके घर लगता है हर शाम गमों का मेला
जाए भी घर तो सिर्फ नाम को जाए कोई
लहू सा उम्र भर जो बहते रहे सीने मे
अब भुलाए तो उन्हें कैसे भुलाए कोई
दर्द ऐसा न सहा जाए न छोड़ा जाआए
इश्क कैसे तेरा भी साथ निभाए कोई
दर्द से जिसने मरासिम बना लिया हो पद्म
काहे पछताए कोई रंज मनाए कोई
..... पद्म सिंह
behtareen
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक शेर है वाह...!!
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