रात थी चांदनी सुहानी भी
लब पे थी अनकही कहानी भी
दिल में थी पाक मोहोब्बत की महक
मन के कोने में बेईमानी भी
वैसे तो चेहरे पे सब लिक्खा है
कुछ तो ज़ाहिर करो ज़ुबानी भी
नज़र की भाषा अदाओं का गणित
हल भी करता हूँ तर्जुमानी भी
फिर नयी बात ने दिया नश्तर
यूँ तो भूली न थी पुरानी भी
रेत सी उम्र फिसलती जाए
और सुलझे नहीं कहानी भी
ये जो दुनिया से कह रहा हूँ मै
वो किसी खास को सुनानी थी
जोश-ओ-मस्ती,बुलंदी-ए-ख्वाहिश
वाह क्या चीज़ है जवानी भी
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नज़र की भाषा अदाओं का गणित
जवाब देंहटाएंहल भी करता हूँ तर्जुमानी भी
बहुत उमदा रचना है बधाई