मेरे दिल की राज कुमारी मेरी प्राणाधार
कैसे कह दूँ तुमसे तुम हो मेरा पहला प्यार
कैसे कह दूँ तुम मेरी पहली चाहत हो
भूख प्यास हो, दर्द और तुम ही राहत हो
कैसे कह दूँ तुम मुझको सब से प्यारी हो
क्यों कह दूँ तुम सारी दुनिया से न्यारी हो
क्यों अपनी झूठी यारी में झूल रही हो
सारी दुनिया से प्यारी को भूल रही हो
मान रहा हूँ मैंने तुमको प्यार किया है
दिल के अरमानों का भी इज़हार किया है
कुछ पल मैंने तेरे संग में काट लिया है
मैंने उसका प्यार तुम्हे भी बाँट दिया है
तुम मुझको छलिया आवारा कह सकती हो
तुम मुझको बेघर बंजारा कह सकती हो
पर तुम मेरा पहला प्यार सुनो तो जानो
तुम भी मेरी प्रेम धार में बह सकती हो
उसके साथ कई सालों तक मै सोया हूँ
उसके साथ हंसा हूँ उसके संग रोया हूँ
मिल जाती तो साथ चिपट कर मै सोया हूँ
बिछड गयी तो बिलख बिलख कर मै रोया हूँ
बहुत दिनों तक दो शरीर एक जान रहे थे
दुःख सारे सुख सारे हमने साथ सहे थे
बहुत सताया था हमने उसको यारी में
सेवा मैंने बहुत कराई बेगारी में
उसका यश तो वेद पुराण बखान रहे है
उसकी रौ में बाइबिल और कुरआन बहे है
उसने मेरी खातिर अपना सब छोड़ा है
उसकी खातिर जो भी कर दूँ वो थोडा है
वो जग में अस्तित्त्व बोध की निर्माता है
उसका मेरे जीवन से गहरा नाता है
तुम पूछोगी ये कैसा अद्भुत नाता है
मै बालक हूँ उसका वो मेरी माता है
मेरे दिल की राजकुमारी मेरी प्राणाधार
देखो मेरी माता ही है मेरा पहला प्यार
जिसको मेरा सब अर्पण है जिसमे मेरी जाँ है
मेरा पहला प्यार हमारी अपनी माँ है
उसने मुझको कई साल तक साथ सुलाया
उसने हंस कर उसने रो कर मुझे रुलाया
बचपन में मै उसके साथ चिपट सोता था
दूर गई तो बिलख बिलख कर मै रोता था
नावें माह तक दो शरीर एक जान रहे थे
सुख सारे दुःख सारे हमने साथ सहे थे
बहुत सताया था मैंने उसको यारी में
सेवा मैंने बहुत कराई बेगारी में
मै अपने दिल को कैसे समझा पाऊंगा
माँ का क़र्ज़ कभी भी नहीं भुला पाऊंगा
पलकों के झूले में तुम्हे झूला सकता हूँ
पर प्रथम प्यार को कैसे कभी भुला सकता हूँ
पर पसंद करें">
मेरे द्वारा रचित
प्रविष्टियाँ पढ़ें
नई प्रविष्टियाँ सूचक">
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ कहिये न ..