शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

कैक्टस गुलाब और गुलाबजामुन

लव गुरु से किसी चेले ने पूछा एक दिन
गुरु नारियों के भेद आज बतलाइए
कैसे किस नज़र से देखे कोई कामिनी को
सार सूत्र सुगम सकल समझाइए

गुरु बोला पहला प्रकार तो है कैक्टस का
दूसरे प्रकार की गुलाब जैसी होती हैं
तीसरा प्रकार नारियों का है गुलाब जामुन
तीन ही तरह से मुझे नज़र आती हैं
चेला बोला गुरु जी समझ नहीं आया कुछ
थोड़ा तो खुलासा कर ज्ञान रस घोलिए
कैक्टस गुलाब औ गुलाब जामुनों से अब
परदा हटाइए रहस्य जरा खोलिए

गुरु बोला कैक्टस है पहला प्रकार जिसे
दूर से ही देखते हैं छू भी नहीं सकते
चखना तो है बड़े ही दूर की कठिन बात
कैक्टस को हम सूंघ भी तो नहीं सकते
बड़े घर की निराली बालकनियों पे सजी
दूर से नाज़ारा लेके लोग ललचाएँगे
छूने का प्रयास मत करना रे प्यारे कभी
वरना तो बेहिसाब काँटे चुभ जाएँगे

दूसरा प्रकार है गुलाब जैसी प्रेयसी का
काँटो की सुरक्षा मे बहुत इतराती है
कभी अठखेलियाँ करे सहेली तितलियाँ
कभी टोली भँवरों की चक्कर लगाती हैं
पर प्रेम या गुलाब का उसूल ऐसा है कि
सूंघ सकते हैं पर चख नहीं सकते
परिणय से ही बनता गुलाब गुलकंद
बिना अपनाए उसे रख नहीं सकते

तीसरा प्रकार नारियों है गुलाब जामुन
गोल मोल लाली सी है अजब निराली सी
नरम नरम रसवंती सी लगे मगर
छूते ही जो फट पड़ती है घरवाली सी
घरवाली नारियों का तीसरा स्वरूप है जी
इत्ता सा कहूँगा उतना समझ जाइए
पत्नी गुलाब जामु न सी है इसीलिए कि
देखिये कि सूँघिए कि चाटिए कि खाइये

-पद्म सिंह 

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