सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

जहर नहीं था प्यार था उम्मा उम्मा (पद्म सिंह)

मित्र  मिलन का पर्व था दिल्ली के  दरबार
सात फ़रवरी दिन रहा छुट्टी और रविवार
छुट्टी और रविवार, तार कुछ ऐसे जुड गए
जलने वालों के हाथों से तोते उड़ गए
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सब ऐसे मिलते रहे जैसे हों परिवार
प्रेम प्यार ऐसा बहा रहा  न पारावार
रहा  न पारावार मित्र फिर मिला करेंगे
भग्न ह्रदय को एक दुसरे सिला करेंगे
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चर्चा हुई बड़ी किसी को मत दो गाली
बच्चे भी देखो ब्लागर मत बन जा खाली
अब तकनीकी ज्ञान अजय झा शेयर करेंगे
बाकी फिर मिल बैठ कर फिर फेयर करेंगे
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चाय स्नैक्स का दौर था लंच रहा स्वादिष्ट
प्यारा सा माहौल था, सभी मित्र थे शिष्ट
सभी मित्र थे शिष्ट, बहुत कुछ सीखा जाना
नहीं रहा कोई वहां अनबुझ अनजाना
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Posted via email from हरफनमौला

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