शनिवार, 28 जनवरी 2012

नेता स्त्रोत ...


सदा श्वेत वस्त्रम, खुंसे अंग शस्त्रम, च वाहन विशालादि सत्ता सुखम ...
चमचा कृपालम, विरोधस्य कालम, सुवांगी श्रुतम चैव लारम भजे...
नमो भ्रष्ट पोषी, च स्विस बैंक कोशी, न जांचम, न दोषी, समेटाsधनम
अनर्गल प्रलापम, च वादा खिलाफम, बकम रात्रि दिवसम अनापम शनापम
निपोराणि खीसम, निर्लज्जमीशम, सुरा सुन्दरी भोग गम्यम भजे
नमो कष्टकारी, च गुंडाधिकारी, सदा लूटकारी, शिकारी धनम
खलस्यादि मित्रम, दुधारी चरित्रम, चुनावे पवित्रम, कुचक्री परम
सदा दुष्ट संगम, च पिस्तौल बंबम, जगन्नापदा, विघ्नकारी परम
त्वया सत्ता धीशम, महामंडलीशम तु नक्कार खानाय तूती वयं

*****नेता वन्दन**** 

सपरिवार निंदउं तुम्हें हे नेता गद्दार..... तरसो वोटन के लिए सुखी रहे संसार
हे गरीब के पेट पर रोटी सेंकनहार, जिस दिन तुम मंत्री बनो गिर जाये सरकार
बोल न फूटे जब तुम्हें हार्टअटैक ड़ि जाय,लूटा धन स्विस बैंक मे पड़े पड़े सड़ि जाय
पाठक जो पढ़ के इसे हाथ पैर मुंह धोय...सात जनम घर ताहि के नेता कबहुँ न होय 

बोलो सत्तानन्द सटोरी धन-आनंद बटोरी नेता भ्रष्टानंद की क्षय  !!!

हे वीणा शोभायनी

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हे वीणा शोभायनी, हे विद्या की खान
मेरी भव बाधा करो, बाँह धरो अब आन
माँ तुमसे क्या छुपा है तू कब थी अनजान
तुम्हीं सँवारो काज सब, तुम्हीं बचाओ मान
आन बान सब छाँणि के आया मै नादान
पत राखो वागेश्वरी, शत शत तुम्हें प्रणाम
..............
वसन्त पंचमी के पावन पर्व पर माँ वीणापाणि के चरणों मे प्रणाम करते हुए
आप सब को बहुत बहुत मंगल कामनाएँ ....


मंगलवार, 24 जनवरी 2012

जूता पचीसी

Images
कई बार मज़ाक मे लिखी गयी दो चार पंक्तियाँ  अपना कुनबा गढ़ लेती है... ऐसा ही हुआ इस जूता पचीसी के पीछे... फेसबुक पर मज़ाक मे लिखी गयी कुछ पंक्तियों पर रजनीकान्त जी ने टिप्पणी की कि इसे जूता बत्तीसी तक तो पहुँचाते... बस बैठे बैठे बत्तीसी तो नहीं पचीसी अपने आप उतर आई... अब आ गयी है तो आपको परोसना भी पड़ रहा है... कृपया इसे हास्य व्यंग्य के रूप
मे ही लेंगे ऐसी आशा करता हूँ।

जूता मारा तान के लेगई पवन उड़ाय
जूते की इज्ज़त बची प्रभु जी सदा सहाय ।1।

साईं इतना दीजिये दो जूते ले आँय
मारहुं भ्रष्टाचारियन जी की जलन मिटाँय ।2।

जूता लेके फिर रही जनता चारिहुं ओर
जित देखा तित पीटिया भ्रष्टाचारी चोर ।3।

कबिरा कर जूता गह्यो छोड़ कमण्डल आज
मर्ज हुआ नासूर अब करना पड़े इलाज ।4।

रहिमन जूता राखिए कांखन बगल दबाय
ना जाने किस भेस मे भ्रष्टाचारी मिल जाय ।5।

बेईमान मचा रहे चारिहुं दिसि अंधेर
गंजी कर दो खोपड़ी जूतहिं जूता फेर ।6।

कह रहीम जो भ्रष्ट है, रिश्वत निस दिन खाय
एक दिन जूता खाय तो जनम जनम तरि जाय ।7।

भ्रष्टाचारी, रिश्वती, बे-ईमानी, चोर
खल, कामी, कुल घातकी सारे जूताखोर ।8।

माया से मन ना भरे, झरे न नैनन नीर
ऐसे कुटिल कलंक को जुतियाओ गम्भीर ।9।

ना गण्डा ताबीज़ कुछ कोई दवा न और
जूता मारे सुधरते भ्रष्टाचारी चोर 10।

जूता सिर ते मारिए उतरे जी तक पीर
देखन मे छोटे लगें घाव करें गम्भीर ।11।

भ्रष्ट व्यवस्था मे चले और न कोई दाँव
अस्त्र शस्त्र सब छाँड़ि के जूता रखिए पाँव ।12।

रिश्वत खोरों ने किया जनता को बेहाल
जनता जूता ले चढ़ी, गाल कर दिया लाल ।13।

रहिमन काली कामरी, चढ़े न दूजो रंग
पर जूते की तासीर से भ्रष्टाचारी दंग ।14।

थप्पड़ से चप्पल भली, जूता चप्पल माँहिं
जूता वहि सर्वोत्तम जेहिं भ्रष्टाचारी खाहिं ।15।

रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि
काम करे जूता जहां नहीं तीर तरवारि ।16।

जूता मारे भ्रष्ट को, एकहि काम नासाय
जूत परत पल भर लगे, जग प्रसिद्ध होइ जाय ।17।

भ्रष्ट व्यवस्था मे कभी मिले न जब अधिकार
एक प्रभावी मन्त्र है, जय जूतम-पैजार ।18।

जूता जू ताकत फिरें भ्रष्टाचारी चोर
जूते की ताकत तले अब आएगी भोर ।19।

रिश्वत दे दे जग मुआ, मुआ न भ्रष्टाचार
अब जुतियाने का मिले जनता को अधिकार ।20।

भ्रष्टाचार मिटे तभी जब जीभर जूता खाय
एक गिनो तब जाय के जब सौ जूता हो जाय।21।

इब्ने बतूता बगल मे जूता पहने तो बोले चुर्र
हाथ मे लेके देखिये, भ्रष्टाचारी फुर्र ।22।

पनही, जूता, पादुका, पदावरण, पदत्राण
भ्रष्टाचारी भागते नाम सुनत तजि प्राण ।23।

जूते की महिमा परम, जो समझे विद्वान
बेईमानी के लिए जूता-कर्म निदान ।24।

बेईमानी से दुखी रिश्वत से हलकान
जूत पचीसी जो पढ़े, बने वीर बलवान ।25।

सोमवार, 2 जनवरी 2012

जनमानस स्तब्ध है लोकतन्त्र लाचार

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जनता सड़कों पर खड़ी मांग रही कानून
मनमानी सरकार की बना नहीं मजमून
भय है भ्रष्टाचार पर लग ना जाय नकेल
भ्रष्टाचारी       खेलते     उल्टे    सीधे   खेल
उल्टे   सीधे    खेल   काम जैसे भी बनता
नहीं बने कानून    भाड़ मे जाये जनता
********************
संसद की सर्वोच्चता सत्ता का यह खेल
कैसी   अंधाधुंध     है    कैसी    रेलमपेल
राजनीति की नसों  मे पसरा भ्रष्टाचार
जनमानस   स्तब्ध है लोकतन्त्र लाचार
लोकतन्त्र  लाचार ठनी नौटंकी हद की
फिर नंगी तस्वीर उभर आई संसद की
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जनता जब से जगी है ऐसी पड़ी नकेल
हुए उजागर बहुत से राजनीति के खेल
कहने को सब चाहते लोकपाल मजबूत
पर सपनों मे डराए  लोकपाल का भूत
लोकपाल का भूत  नहीं कुछ कहते बनता
अन्ना,बाबा, स्वामी पीछे सारी जनता
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मंहगाई सर पे चढ़ी फिर उछला पेट्रोल 
सरकारी वादे सभी  बने ढ़ोल के पोल
भूखा मारे गरीब और सड़ता रहे अनाज
देश नोच कर खा रहे  सत्ताधारी बाज़
सत्ताधारी बाज़    कयामत    जैसे  आई
जीना दूभर हुआ चढ़ी सर पे मंहगाई
******************

यह रचना  मेरे अन्य ब्लॉग  पद्मावलि पर भी प्रकाशित है... क्षमा  करें !

सोमवार, 28 नवंबर 2011

Untitled

Debate
आंसुओं से कब भला धुलती तमा तकदीर की

शान्ति पलती है हमेशा साये मे शमशीर की

 

 

Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog

सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

भ्रष्टाचार - कारण और निवारण

पिछले कुछ दिनों से अचानक एक मुद्दा तूफान की तरह उठा और पूरे भारत मे चर्चा का विषय बन गया... ऐसा नहीं कि यह पहले कोई मुद्दा नहीं था या कभी उठाया नहीं गया किन्तु जिस वृहद स्तर पर पूरे देश मे इसपर चर्चा हुई...
लोग एकजुट हुए वह अपने आप मे संभवतः पहली बार था... यह मुद्दा है भ्रष्टाचार का। जब हम भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो दो प्रश्न प्रमुखतासे खड़े होते हैं। पहला तो यह कि आखिर भ्रष्टाचार का श्रोत कहाँ है...भ्रष्टाचार के कारण क्या हैं... और दूसरा प्रमुख प्रश्न है कि इसकानिवारण कैसे हो। हम यहाँ कुछ भौतिक और मनोवैज्ञानिक कारकों पर विचार करतेहैं -
भ्रष्टाचार का श्रोत अथवा कारण—
1- नैतिकता पतन- जैसा कि इसके नाम से ही इसका पहला श्रोत स्पष्ट होता है,आचरण का भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार है। आचरण का प्रतिनिधित्व सदैवनैतिकता करती है। किसी का नैतिक उत्थान अथवा पतन उसके आचरण पर भी प्रभावडालता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति और सामाजिक परिवेश मे बच्चों के नैतिकउत्थान के प्रति लापरवाही बच्चे को पूरे जीवन प्रभावित करती है। एकबच्चा दस रूपये लेकर बाज़ार जाता है। दस रूपये मे से अगर दो रूपये बचतेहैं तो चाहे घर वालों की लापरवाही अथवा छोटी बात समझ कर अनदेखा करने के
कारण, बच्चा उन दो रूपयों को छुपा लेता है और इसी स्तर पर भरष्टाचार कीपहली सीढ़ी शुरू होती है। अर्थात जब जीवन की पहली सीढ़ी पर ही उसे उचितमार्गदर्शन, नैतिकता का पाठ, और औचित्य अनौचित्य मे भेद करने ज्ञान उसकेपास नहीं होता तो उसका आचरण धीरे धीरे उसकी आदत मे बदलता जाता है। अतःभ्रष्टाचार का पहला श्रोत परिवार होता है जहां बालक नैतिक ज्ञान के अभावमे उचित और अनुचित के बीच भेद करने तथा नैतिकता के प्रति मानसिक रूप सेसबल होने मे असमर्थ हो जाता है।
2- शार्टकट की आदत – यह मानव स्वभाव होता है कि किसी भी कार्य को व्यक्तिकम से कम कष्ट उठाकर प्राप्त कर लेना चाहता है। वह हर कार्य के लिए एक छोटा और सुगम रास्ता खोजने का प्रयास करता है। इसके लिए दो रास्ते हो सकते हैं... एक रास्ता नैतिकता का हो सकता है जो लम्बा और कष्टप्रद भी हो सकता है और दूसरा रास्ता है छोटा किन्तु अनैतिक रास्ता। एक मोटर साइकिल चालक जिसके पास पर्याप्त प्रपत्र नहीं हैं। उसके लिए कई सौ रूपये जुर्माने अथवा निरुद्ध करने का प्रावधान है, किन्तु वह खोजता है आसान और छोटा रास्ता। वह कोशिश करता है कि उसे नियमानुसार अर्थदण्ड के अतिरिक्त किसी छोटे दण्ड से छुटकारा मिल जाय। इसके लिए वह यह जानते हुए कि वह भ्रष्टाचार स्वयं भी कर रहा है और ट्राफिक हवलदार को भी इसके लिए बढ़ावा दे रहा है, नियम तोड़ने से नहीं हिचकता और किसी प्रभावी व्यक्ति से दबाव डलवा कर, कोई बहाना बनाकर अथवा कुछ कम अर्थदण्ड का लालच देकर वह आसानी से छुटकारा पाने की कोशिश करता है।
3- आर्थिक असमानता - कई बार परिवेश और परिस्थितियाँ भी भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार होती हैं। हर मनुष्य की कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ होती हैं। जीवन यापन के लिए के लिए धन और सुविधाओं की कुछ न्यूनतम आवश्यकताएँ होती हैं। विगत कुछ दशकों मे पूरी दुनिया मे आर्थिक असमानता तेज़ी से बढ़ी है। अमीर लगातार और ज़्यादा अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब को अपनी जीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जब व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकताएँ सदाचार के रास्ते पूरी नहीं होतीं तो वह नैतिकता पर से अपना विश्वास खोने लगता है और कहीं न कहीं जीवित रहने के लिए अनैतिक होने के लिए बाध्य हो जाता है। 
4- महत्वाकांक्षा- कोई तो कारण ऐसा है कि लोग कई कई सौ करोड़ के घोटाले करने और धन जमा करने के बावजूद भी और धन पाने को लालायित रहते हैं और उनकी क्षुधा पूर्ति नहीं हो पाती। तेज़ी से हो रहे विकास और बादल रहे सामाजिक परिदृश्य ने लोगों मे तमाम ऐसी नयी महत्वाकांक्षाएं पैदा कर दी हैं जिनकी पूर्ति के लिए वो अपने वर्तमान आर्थिक ढांचे मे रह कर कुछ कर सकने मे स्वयं को अक्षम पाते हैं। जितनी तेज़ी से दुनिया मे नयी नयी सुख सुविधा के साधन बढ़े हैं उसी तेज़ी से महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ी हैं जिन्हें नैतिक मार्ग से पाना लगभग असंभव हो जाता है। ऐसे मे भ्रष्टाचार के द्वारा लोग अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए प्रेरित होते हैं। 
5- प्रभावी कानून की कमी- भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण यह भी है कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए या तो प्रभावी कानून नहीं होते हैं अथवा उनके क्रियान्वयन के लिए जो सिस्टम का ठीक नहीं होता है। सिस्टम मे तमाम  सी खामियाँ होती हैं जिनके सहारे अपराधी/भ्रष्टाचारी को दण्ड दिलाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
6- कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती हैं जहाँ मनुष्य को दबाव वश भ्रष्टाचार करना और सहन करना पड़ता है। इस तरह का भ्रष्टाचार सरकारी विभागों मे बहुतायत से दिखता है। वह चाह कर भी नैतिकता के रास्ते पर बना नहीं रह पाता है क्योंकि उसके पास भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए अधिकार सीमित और प्रक्रिया जटिल हैं।
निवारण-
1- कठोर और प्रभावी व्यवस्था- दुनिया के किसी भी देश मे भ्रष्टाचार और अपराध से निपटने के लिए कठोर और प्रभावी कानून व्यवस्था का होना तो अति आवश्यक है ही... साथ ही इसके प्रभावी मशीनरी के द्वारा प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाना भी बेहद आवश्यक है। दुनिया भर मे कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस और अन्य सरकारी मशीनरियाँ काम करती हैं। अब लगभग हर देश मे पुलिस, फायर सर्विस जैसी तमाम सरकारी सहाता के लिए एक यूनिक नंबर होता है जिसके मिलाते ही वह सुविधा आम लोगों को मिलती है। लेकिन यदि कोई रिश्वत मांगता है अथवा भ्रष्टाचार करता है तो ऐसा कोई सीधी व्यवस्था नहीं दिखती है कि एक फोन मिलाते ही भ्रष्टाचार निरोधी दस्ता आए  और पीड़ित की सहायता करे और भ्रष्ट के खिलाफ कार्यवाही करे।
2- आत्म नियंत्रण और नैतिक उत्थान- यह एक हद तक ठीक है कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक कडा कानून होना आवश्यक है किन्तु इस से भ्रष्टाचार पर मात्र तात्कालिक और सीमित नियंत्रण ही प्राप्त किया जा सकता है भ्रष्टाचार समाप्त नहीं किया जा सकता है। सत्य के साथ जीना सहज नहीं होता, इसके लिए कठोर आंत्म नियंत्रण त्याग और आत्मबल की आवश्यकता होती है। जब तक हमें अपने जीवन के पहले सोपानों पर सत्य के लिए लड़ने की शक्ति और आत्म बल नहीं मिलेगा भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलना संभव नहीं है। दुनिया मे उपभोक्तावादी संस्कृति के बढ़ावे के साथ नैतिक शिक्षा के प्रति उदासीनता बढ़ी है। पश्चिमी शिक्षा पद्धति ने स्कूलों और पाठ्यक्रमों से आत्मिक उत्थान से अधिक भौतिक उत्थान पर बल मिला है जिससे बच्चों मे
ईमानदारी और नैतिकता के लिए पर्याप्त प्रेरकशक्ति का अभाव देखने को मिलता है। बचपन से ही शिक्षा का मूल ध्येय धनार्जन होता है इस लिए बच्चों का पर्याप्त नैतिक उत्थान नहीं हो पाता है। अतः शिक्षा पद्धति कोई भी हो उसमे नैतिकमूल्य, आत्म नियंत्रण, राष्ट्र के प्रति कर्तव्य जैसे विषयों का समावेश होना अति आवश्यक है।
3- आर्थिक असमानता को दूर करना- आर्थिक असमानता का तेज़ी से बढ़ना बड़े स्तरपर कुंठा को जन्म देता है। समाज के आर्थिक रूप से निचले स्तर पर आजीविकाके लिए संघर्ष किसी व्यक्ति के लिए नैतिकता और ईमानदारी अपना मूल्य खोदेती है। पिछले दिनों योजना आयोग ने गावों के लिए 26 रूपये और शहरों के
लिए 32 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन खर्च को जीविका के लिए पर्याप्तमाना, और यह राशि खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं माना जाएगा, जबकि यहतथ्य किसी के भी गले नहीं उतारा कि इस धनराशि मे कोई व्यक्ति ईमानदारीके साथ अपना जीवनयापन कैसे कर सकता है। गरीबी और आर्थिक असमानता भी जब हद से बढ़ जाती है तो नैतिकता अपना मूल्य खो देती है यह हर देश काल के लिए एक कटु सत्य है कि एक स्तर से अधिक आर्थिक/सामाजिक असमानता ने क्रांतियों  जन्म दिया है। इस कारण किसी भी देश की सरकार का प्रभावी प्रयास होनाचाहिए कि आर्थिक असमानता एक सीमा मे ही रहे।इसके अतिरिक्त और भी बहुत से प्रयास किए जा सकते हैं जो भ्रष्टाचार को कम करने अथवा मिटाने मे कारगर हो सकते हैं परंतु श्रेयस्कर यही है कि सख्त और प्रभावी कानून के नियंत्रण के साथ नैतिकता और ईमानदारी अंदर से पल्लवित हो न कि बाहर से थोपी जाय।
.... पद्म सिंह

Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

दिल पे मत ले यार !

किसी व्यक्ति ने इसे कुमार विश्वास के पेज पर पोस्ट किया हुआ था..
आप हँसते हँसते पागल हो जाओगे..कसम से..
दिग्विजय सिंह -
  • दिग्विजिय सिंह की लोकप्रियता को देखते हुए ज़ी टीवी जल्द ही उन्हें लेकर एक सीरियल शुरू करने वाला है…अगले जन्म मुझे घटिया ही कीजो!
  • दिग्विजय सिंह के लिए बड़ा झटका…पता लगा है कि कांग्रेस के झंडे में जो हाथ है…वो भी आरएसएस का है!
  • अफसोस…ओसामा अपनी वसीयत 2001 में लिख गए। अगर 2011 में लिखी होती तो ऐबटाबाद की हवेली दिग्विजय सिंह के नाम कर देते!
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। मैंने ओसामा जी नहीं, ओसामा जीजा जी कहा था!
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि जब मुझ जैसा आदमी ज़िंदा घूम रहा है तो अफज़ल गुरू को फांसी क्यों दी जाए?
  • दिग्विजय सिंह भारत के सबसे भरोसेमंद नेता हैं… क्योंकि वो ISI मार्का हैं!
  • सवाल-जब अक्ल बंट रही थी तब तुम कहां थे? दिग्विजय-मैं उस समय राहुल बाबा को ढूंढने गया हुआ था…पता नहीं वो लाइन तोड़कर कहां चले गए थे?
  • दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद कि वो अपने पाप धोने हरिद्वार जाएंगे, प्रधानमंत्री ने ‘गंगा सफाई अभियान’ के लिए दस हज़ार करोड़ की अतिरिक्त राशि मुहैया करवा दी है!
शरद पवार-
  • साल 20030…दो लड़के पार्क में बैठे बातें कर रहे हैं…पहला- तुम रोज़ी-रोटी के लिए क्या करते हो…दूसरा-सुबह अख़बार बांटता हूं, फिर दस घंटे नौकरी करता हूं, शाम को ट्यूशन पढ़ाता हूं, रात में चौकीदारी करता हूं…मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ, तुम्हें मैंने कभी कुछ करते नहीं देखा…पहला-यार, क्या बताऊं, आज से दो सौ पीढ़ी पहले हमारे यहां एक शरद पवार हुए थे…वो इतना कमा गए कि हमें आज तक कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ी!
  • फोर्ब्स मैगज़ीन ने अपने ताज़ा अंक में उन ख़रबपतियों की सूची जारी की है जिन्हें शरद पवार ने उधार दे रखा है!
  • शरद पवार ने हाथ दे कर रिक्शे वाले को रोका और पूछा…बस स्टैंड चलना है…कितने पैसे दोगे?
  • शरद पवार और सुरेश कलमाडी से विशाल भारद्वाज इतने इम्प्रेस हैं कि उन्हें लेकर एक बार फिर से ‘कमीने’ फिल्म बनाना चाहते हैं!
  • शरद पवार के करनामों से प्रभावित हो भारतीय डाक विभाग जल्द ही उन पर एक ‘डाकू टिकट’ जारी करने जा रहा है।
  • SWISS GOVERNMENT को शक़ है कि SWISS BANK ने शरद पवार के पास SAVING ACCOUNT खुलवा रखा है!
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मनमोहन सिंह -
  • मनमोहन सिंह विज्ञान ही नहीं, अर्थशास्त्र में भी झोलाछाप डॉक्टर होते हैं…जैसे डॉक्टर मनमोहन सिंह!
  • मैं इसलिए कुछ नहीं बोलता क्योंकि मैडम ने एक दफा समझाया था…बातें कम, स्कैम ज़्यादा!
  • दबंग के बाद अभिनव कश्यप जल्द ही मनमोहन सिंह को लेकर इसका सीक्वल बनाने जा रहे हैं…इस बार फिल्म का नाम है-’अपंग‘!
  • ओसामा की मौत का स्वागत करते हुए मनमोहन सिंह ने एक बार फिर से सोनिया गांधी के कुशल नेतृत्व की तारीफ की है!
  • रजनीकांत के फैन्स के लिए एक अच्छी ख़बर है और एक बुरी। अच्छी ख़बर ये है कि जल्द ही ROBOT PART 2 आ रही है और बुरी ख़बर ये कि इस बार हीरो रजनीकांत नहीं, मनमोहन सिंह हैं। उनसे बड़ा ROBOT भारत में और कौन है!
  • मनमोहन सिंह को देखकर यकीन करना मुश्किल है कि उन्हें भगवान ने बनाया या फिर मैडम तुसाद ने!
  • कुछ लोगों का कहना है कि ‘मजदूर दिवस’ की तर्ज़ पर मनमोहन सिंह के सम्मान में एक दिन ‘मजबूर दिवस’ भी मनाया जाना चाहिए!
  • मनमोहन सिंह का कहना है कि वो अश्लीलता के बिल्कुल खिलाफ हैं इसलिए अपने जीते-जी किसी को EXPOSE नहीं होने देंगे!
नारायण दत्त तिवारी===
  • ओसामा की पहचान के लिए अमेरिका जल्द ही उसका डीएनए टेस्ट करवाएगा, मुझे शक़ है कि कहीं वो नारायण दत्त तिवारी का बेटा न निकले।
  • शरद पवार अपनी सारी सम्पत्ति और एनडी तिवारी अपने सारे बच्चे डिक्लेयर कर दें तो इसमें कई देशों की सारी दौलत और पूरी आबादी समा सकती है!
सुरेश कलमाडी
  • कलमाडी जैसे ही बापू की मूर्ति पर फूल चढ़ाने झुके…लाठी से धकेलते हुए आवाज़ आई…दूर हटो बेटा…वरना अहिंसा की कसम टूट जाएगी!
  • लोगों ने भी हद कर दी है…कलमाडी सुबह पार्क में RUNNING कर रहे थे…पीछे से किसी ने आवाज दी…कब तक भागोगे!
  • कलमाडी घर पहुंचे तो काफी भीग चुके थे…बीवी ने चौंक कर पूछा…इतना भीगकर कहां से आ रहे हैं…क्या बाहर बारिश हो रही है…कलमाड़ी-नहीं….तो फिर…कलमाडी-क्या बताऊं…जहां से भी गुज़र रहा हूं…लोग थू-थू कर रहे हैं!
  • कुकर्मों के लिए माफी मांगते हुए कलमाडी भगवान की मूर्ति के सामने दंडवत हो गए…मन में माफी मांगी…आंख खोली तो देखा…भगवान खुद कलमाडी के सामने दंडवत थे…बोले…बच्चा…रहम करो…जाओ यहां से…
  • “सुरेश कलमाडी एक ईमानदार, कुशल, मेहनती और देशभक्त आदमी हैं। उन जैसा सच्चा आदमी आज तक इस देश ने नहीं देखा…पूरे देश को उन पर नाज़ है” ऐसे ही फनी और मज़ेदार चुटकुलों के लिए SMS करें…5467 पर!
  • कलमाडी के इस प्रस्ताव के बाद कि आप चाहें तो लंदन ओलंपिक में मेरे अनुभव का फायदा उठा सकते हैं, इंग्लैंड के राजकुमार ने सीधा प्रधानमंत्री को फोन लगाया और कहा…इसे समझा लो…वरना मेरा हाथ उठ जाएगा!
  • If ‘K’ stands for Kalmadi…तो आप उसे KBC भी कह सकते हैं…अब ये मत पूछना कि BC क्या होता है!.....
राहुल गांधी
  • “तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ने से आम आदमी का तेल निकलेगा और जब आम आदमी तेल देने लगेगा तो महंगाई खुद-ब-खुद कम हो जाएगी”-राहुल गांधी
    इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी में बहुत प्रतिभा छिपी हुई है मगर देश की भलाई इसी में है कि वो इसे छिपाकर ही रखें!
    हाल के सालों में जिस तेज़ी से पेट्रोल की कीमतें बढ़ी हैं अगर उसी अनुपात में राहुल गांधी का IQ भी बढ़ता तो वो नासा में वैज्ञानिक होते!

    ये पूछे जाने पर कि अब तक वो अन्ना हज़ारे का हाल जानने जंतर-मंतर क्यों नहीं गए…राहुल गांधी का कहना था कि मुझे लगा ‘अन्ना’ कोई साउथ इंडियन शख्स है, जो रजनीकांत को भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठा है!
    सुरक्षा एजेंसियों और राहुल गांधी के साथ एक ही समस्या है…intelligence failure!
     
    यह पोस्ट फेसबुक से साभार संकलित है ....मूल लेखक neeraj Badhawa