दोस्त बन बन के सताने वाले
अब तरसते है मेरे बाद ज़माने वाले
आज वो हाल पूछ बैठे मेरा
आज फिर ज़ख्म उभर आए पुराने वाले
आज फिर चैन में खलल सा है
सपनों में आने लगे चैन चुराने वाले
तेरी दस्तक का मुझे इंतजार आज भी है
बेकली में मुझे ऐ छोड़ के जाने वाले
वो जो डूबा तो मिले मोती उसे
कौडियाँ बीनते ही रहे किनारे वाले
इश्क में भंवर है तूफ़ान भी है
ज़रा संभल जा इसे तैर के जाने वाले
..................०७-०४-०९
its awesome poem, freindship always hurt.if it is in directly by heart. i think u know it better.
जवाब देंहटाएंi like your this poem very much.
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