जाने कौन सा त्यौहार आने वाला है... दो तीन दिन से पूरे शहर की सड़कों पर
छूने की लाइने दिखाई देने लगी हैं, जिन सड़कों पर बरसों से अंधेरा हुआ
करता था उनपर स्ट्रीट लाइटें जगमगाने लगी हैं, आखिर ऐसा क्या है जिसके
कारण सड़क किनारे पड़े कूड़े के ढेरों पर लोटते सुवरों को उनके क्रीडा
सुख से वंचित कर दिया गया है... नगर निगम की नयी नयी कूड़ा उठाने वाली
गाडियाँ और ट्रक घूमते दिख रहे हैं... सड़क पर पचासों मोटी ताज़ी सफाई
वाली औरतें और सफाई कर्मी अपनी आरामगाह से निकाल कर काम पर लगा दिये गए
हैं... सारे दफ्तर दस बजे खुल रहे हैं अफसरों को दस्त से लगे हुए हैं ...
अधूरे काम पूरे करने पर सुबह से शाम आफिस और साइट्स की दौड़ लगा रहे
हैं...सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियाँ बंद कर दी गयी हैं, सारे निकम्मे
नहा धो कर सुबह से शाम तक अपनी ड्यूटी पर आने लगे हैं। चौराहे और
डिवाइडर्स पर रंग रोगन का काम दिन रात चल रहा है। लाल नीली बत्तियाँ
पाँय-पाँय करती घूम रही हैं... आखिर हुआ क्या है ? कोई कह रहा था बहन जी से फटती है इनकी !!!
छूने की लाइने दिखाई देने लगी हैं, जिन सड़कों पर बरसों से अंधेरा हुआ
करता था उनपर स्ट्रीट लाइटें जगमगाने लगी हैं, आखिर ऐसा क्या है जिसके
कारण सड़क किनारे पड़े कूड़े के ढेरों पर लोटते सुवरों को उनके क्रीडा
सुख से वंचित कर दिया गया है... नगर निगम की नयी नयी कूड़ा उठाने वाली
गाडियाँ और ट्रक घूमते दिख रहे हैं... सड़क पर पचासों मोटी ताज़ी सफाई
वाली औरतें और सफाई कर्मी अपनी आरामगाह से निकाल कर काम पर लगा दिये गए
हैं... सारे दफ्तर दस बजे खुल रहे हैं अफसरों को दस्त से लगे हुए हैं ...
अधूरे काम पूरे करने पर सुबह से शाम आफिस और साइट्स की दौड़ लगा रहे
हैं...सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियाँ बंद कर दी गयी हैं, सारे निकम्मे
नहा धो कर सुबह से शाम तक अपनी ड्यूटी पर आने लगे हैं। चौराहे और
डिवाइडर्स पर रंग रोगन का काम दिन रात चल रहा है। लाल नीली बत्तियाँ
पाँय-पाँय करती घूम रही हैं... आखिर हुआ क्या है ? कोई कह रहा था बहन जी से फटती है इनकी !!!
Posted via email from पद्म सिंह का चिट्ठा - Padm Singh's Blog
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