मनमोहन मजबूर हैं गठबंधन सरकार
मंहगाई की मांग पर फैला भ्रष्टाचार
फैला भ्रष्टाचार, करें जनता का दोहन
गठबंधन के मारे बेचारे मनमोहन
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जमा विदेशी बैंक मे नेताओं की लाज
इसी फेर मे सब पड़े कौन खुजाये खाज
कौन खुजाये खाज राज खोलें भी कैसे
भारी तिजोरी लूट पाट कर जैसे तैसे
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हींग लगे ना फिटकरी जमे अनोखा रंग
राजनीति के मज़े हम देख रह गए दंग
राज नीति के मज़े, मज़े की बाबा गीरी
भोली जनता के धन से भर रहे तिजोरी
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जिसकी जितनी चाकरी उसकी उतनी धार
मैडम के दरबार मे चमचों की भरमार
किसे पता किस्मत वाले ताले खुल जावें
मजबूरी मे कब प्रधान मंत्री बन जावें
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कलमाड़ी मायूस हैं, राजा से गए हार
अवसर था बेहद बड़ा छोटी पड़ गयी मार
छोटी पड़ गयी मार, प्रभू फिर दे दो मौका
फिर से देखो कलमाड़ी का छक्का चौका
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राजनीति का राज है लूट सके तो लूट
हाथ मसल पछताएगा, कुर्सी जाये छूट
जल्दी जल्दी लूट इसी कुर्सी के बूते
वरना जनता आती है ले ले कर जूते
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होली का आगाज है, मन मे भरी उमंग
पर मंहगाई देख कर, जनता रह गयी दंग
जैसे आनन फानन मे, प्याज उगाई यार
फिर से कुछ जादू करो, प्यारे शरद पवार
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दुष्ट मनचले पा गए हैं जैसे बरदान
फैली जब से खबर है शीला हुई जवान
शीला हुई जवान, नयी पीढ़ी बौराई
मंजन घिसते हैं पिया, मुन्नी है बदनाम
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